"हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बाद / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद | किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद | ||
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13:06, 18 मई 2009 का अवतरण
हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बाद
बारे आराम से है अहले-जफ़ा मेरे बाद
मंसब-ए-शेफ़्तगी के कोई क़ाबिल न रहा
हुई म'अज़ूली-ए-अंदाज़-ओ-अदा मेरे बाद
शम'अ बुझती है तो उस में से धुआँ उठता है
शोला-ए-इश्क़ सियहपोश हुआ मेरे बाद
ख़ूँ है दिल ख़ाक में अहवाल-ए-बुताँ पर, यानी
उनके नाख़ुन हुए मोहताज-ए-हिना मेरे बाद
दरख़ुर-ए-अर्ज़ नहीं जौहर-ए-बेदाद को जा
निगह-ए-नाज़ है सुर्मे से ख़फ़ा मेरे बाद
है जुनूँ अहले-जुनूँ के लिये आग़ोश-ए-विदा
चाक़ होता है गरेबाँ से जुदा मेरे बाद
कौन होता है हरीफ़-ए-मए-मर्द-अफ़्गन-ए-इश्क़
है मुकर्रर लब-ए-साक़ी पे सला मेरे बाद
ग़म से मरता हूँ के इतना नहीं दुनिया में कोई
के करे तअज़ीयत-ए-मेहर-ओ-वफ़ा मेरे बाद
आये है बेकसी-ए-इश्क़ पे रोना 'ग़ालिब'
किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद
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