भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वे गांधीवादी हैं / विजय गौड़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=विजय गौड़
+
|रचनाकार=विजय गौड़  
|संग्रह=
+
|संग्रह=सबसे ठीक नदी का रास्ता / विजय गौड़
 
}}
 
}}
 
 
<Poem>
 
<Poem>
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
 
 
पर गांधी जैसा ही है उनका चेहरा
 
खल्वाट खोपड़ी भी चमकती है वैसे ही
 
 
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
 
  
 +
वे गांधीवादी हैं
 +
 +
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
 +
पर गांधी जैसा ही है उनका चेहरा
 +
खल्वाट खोपड़ी भी चमकती है वैसे ही
 +
 +
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
 
गांधीवादी बने रहना भी तो  
 
गांधीवादी बने रहना भी तो  
नहीं है इतना आसान;  
+
नहीं है इतना आसान;
चारों ओर मचा हो घमासान  
+
चारों ओर मचा हो घमासान
 
तो बचते-बचाते हुए भी  
 
तो बचते-बचाते हुए भी  
उठ ही जाती है उनके भीतर कुढ़न  
+
उठ ही जाती है उनके भीतर कुढ़न
वैसे, गुस्सा तो नहीं ही करते हैं वे  
+
वैसे, गुस्सा तो नहीं ही करते हैं वे
पर भीतर तो उठता ही है  
+
पर भीतर तो उठता ही है
गांधी जी भी रहते ही थे गुस्से से भरे,  
+
गांधी जी भी रहते ही थे गुस्से से भरे,
कहते हैं वे,  
+
कहते हैं वे,
गांधी नफरत से करते थे परहेज,  
+
गांधी नफ़रत से करते थे परहेज,
गुस्से से नहीं  
+
गुस्से से नहीं
 
+
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों  
+
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
 
+
गांधी ‘स्वदेशी’ पसंद थे
गांधी 'स्वदेशी" पसंद थे  
+
कातते थे सूत
कातते थे सूत  
+
पहनते थे खद्दर
पहनते थे खद्दर  
+
 
वे चाहें भी तो  
 
वे चाहें भी तो  
पहन ही नहीं सकते खद्दर  
+
पहन ही नहीं सकते खद्दर
 
+
सरकार गांधीवादी नहीं है, कहते हैं वे,
सरकार गांधीवादी नहीं है, कहते हैं वे  
+
 
विशिष्टताबोध को त्यागकर ही  
 
विशिष्टताबोध को त्यागकर ही  
गांधी हुए थे गांधी  
+
गांधी हुए थे गांधी
गांधीवादी होना विशिष्टता को त्यागना ही है  
+
गांधीवादी होना विशिष्टता को त्यागना ही है
 
+
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों  
+
 
+
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
अहिंसा गांधी का मूल-मंत्र था  
+
अहिंसा गांधी का मूल-मंत्र था
पर हिंसा से नहीं था इंकार गांधी जी को,  
+
पर हिंसा से नहीं था इंकार गांधी जी को,
कहते हैं वे,  
+
कहते हैं वे,
 
समयकाल के साथ चलकर ही  
 
समयकाल के साथ चलकर ही  
 
किया जा सकता है गांधी का अनुसरण।  
 
किया जा सकता है गांधी का अनुसरण।  
 
+
</Poem>
</poem>
+

19:55, 18 मई 2009 का अवतरण


वे गांधीवादी हैं
 
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
पर गांधी जैसा ही है उनका चेहरा
खल्वाट खोपड़ी भी चमकती है वैसे ही
 
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
गांधीवादी बने रहना भी तो
नहीं है इतना आसान;
चारों ओर मचा हो घमासान
तो बचते-बचाते हुए भी
उठ ही जाती है उनके भीतर कुढ़न
वैसे, गुस्सा तो नहीं ही करते हैं वे
पर भीतर तो उठता ही है
गांधी जी भी रहते ही थे गुस्से से भरे,
कहते हैं वे,
गांधी नफ़रत से करते थे परहेज,
गुस्से से नहीं
 
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
गांधी ‘स्वदेशी’ पसंद थे
कातते थे सूत
पहनते थे खद्दर
वे चाहें भी तो
पहन ही नहीं सकते खद्दर
सरकार गांधीवादी नहीं है, कहते हैं वे,
विशिष्टताबोध को त्यागकर ही
गांधी हुए थे गांधी
गांधीवादी होना विशिष्टता को त्यागना ही है
 
 
वे गांधीवादी हैं, या न भी हों
अहिंसा गांधी का मूल-मंत्र था
पर हिंसा से नहीं था इंकार गांधी जी को,
कहते हैं वे,
समयकाल के साथ चलकर ही
किया जा सकता है गांधी का अनुसरण।