भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अवलोकन / विमल कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विमल कुमार |संग्रह=यह मुखौटा किसका है / विमल कुम...)
 
(कोई अंतर नहीं)

04:02, 25 मई 2009 के समय का अवतरण

क्या मैं ठक गया हूँ
कि सारी दुनिया बीमार है

क्या मैं नाराज़ हो गया हूँ
कि यह शहर मुझसे डरा है

क्या मैं हत्यारा हूँ
कि सामने एक आदमी मरा पड़ा है

क्या मैं लालची हूँ
कि हाथ किसी का खाली है

क्या मेरी जुबान गन्दी है
कि किसी के मुँह में गाली है