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"सतीत्व / तस्लीमा नसरीन" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तस्लीमा नसरीन |संग्रह= }} <Poem> काया कोई छुए तो हो जा...)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:59, 31 मई 2009 के समय का अवतरण

काया कोई छुए तो हो जाऊंगी नष्ट

हृदय छूने पर नहीं ?
हृदय देह में बसा रहता है निरंतर

काया के सोपान को पार किए बिना
जो अंतर गेह में करता है प्रवेश
वह कोई और ही होगा
पर जानती हूँ
वो मनुष्य नहीं होगा


अनुवाद : शम्पा भट्टाचार्य