भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सतीत्व / तस्लीमा नसरीन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तस्लीमा नसरीन |संग्रह= }} <Poem> काया कोई छुए तो हो जा...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:59, 31 मई 2009 के समय का अवतरण
काया कोई छुए तो हो जाऊंगी नष्ट
हृदय छूने पर नहीं ?
हृदय देह में बसा रहता है निरंतर
काया के सोपान को पार किए बिना
जो अंतर गेह में करता है प्रवेश
वह कोई और ही होगा
पर जानती हूँ
वो मनुष्य नहीं होगा
अनुवाद : शम्पा भट्टाचार्य