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"बैर प्रीति करिबे की मन में न राखै सँक / ठाकुर" के अवतरणों में अंतर
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− | बैर प्रीति करिबे की | + | बैर प्रीति करिबे की मन में न राखै सक॥ |
− | राजा राव देखि कै न छाती धक | + | राजा राव देखि कै न छाती धक धाकरी। |
− | आपनी उमँग की निबाहिबे की चाह | + | आपनी उमँग की निबाहिबे की चाह जिन्हें॥ |
− | एक | + | एक सों दिखात तिन्हें बाघ और बाकरी। |
− | ठाकुर कहत | + | ठाकुर कहत मैं बिचार कै बिचार देखौ॥ |
− | यहै मरदानन की टेक बात | + | यहै मरदानन की टेक बात आकरी। |
− | गही जौन गही जौन छोरी तौन छोर | + | गही जौन गही जौन छोरी तौन छोर दई॥ |
− | करी तौन करी बात नाकरी सो | + | करी तौन करी बात नाकरी सो नाकरी॥ |
'''ठाकुर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है। | '''ठाकुर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है। | ||
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02:56, 17 जून 2009 का अवतरण
बैर प्रीति करिबे की मन में न राखै सक॥
राजा राव देखि कै न छाती धक धाकरी।
आपनी उमँग की निबाहिबे की चाह जिन्हें॥
एक सों दिखात तिन्हें बाघ और बाकरी।
ठाकुर कहत मैं बिचार कै बिचार देखौ॥
यहै मरदानन की टेक बात आकरी।
गही जौन गही जौन छोरी तौन छोर दई॥
करी तौन करी बात नाकरी सो नाकरी॥
ठाकुर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।