भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मनुवा बाबारे सुमरले मन सिताराम / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> मनुवा बाबारे सुमरले मन सिताराम॥ध्...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:51, 19 जून 2009 के समय का अवतरण
मनुवा बाबारे सुमरले मन सिताराम॥ध्रु०॥
बडे बडे भूपती सुलतान उनके। डेरे भय मैदान॥१॥
लंकाके रावण कालने खाया। तूं क्या है कंगाल॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर लाल। भज गोपाल त्यज जंजाल॥३॥