भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हारे जावो जावोरे जीवन जुठडां / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> हारे जावो जावोरे जीवन जुठडां। हार...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:59, 19 जून 2009 के समय का अवतरण
हारे जावो जावोरे जीवन जुठडां। हारे बात करतां हमे दीठडां॥ध्रु०॥
सौ देखतां वालो आळ करेछे। मारे मन छो मीठडारे॥१॥
वृंदावननी कुंजगलीनमें। कुब्जा संगें दीठ डारे॥२॥
चंदन पुष्पने माथे पटको। बली माथे घाल्याता पछिडारे॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। मारे मनछो नीठडारे॥४॥