भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शाम बतावरे मुरलीवाला / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> शाम बतावरे मुरलीवाला॥ध्रु०॥ मोर म...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:02, 19 जून 2009 के समय का अवतरण
शाम बतावरे मुरलीवाला॥ध्रु०॥
मोर मुगुट पीताबंर शोभे। भाल तिलक गले मोहनमाला॥१॥
एक बन धुंडे सब बन धुंडे। काहां न पायो नंदलाला॥२॥
जोगन होऊंगी बैरागन होऊंगी। गले बीच वाऊंगी मृगछाला॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। माग लीयो प्रीयां प्रेमको माला॥४॥