भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"माई मैनें गोविंद लीन्हो मोल / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> माई मैनें गोविंद लीन्हो मोल॥ध्रु०...)
(कोई अंतर नहीं)

19:15, 22 जून 2009 का अवतरण

माई मैनें गोविंद लीन्हो मोल॥ध्रु०॥
कोई कहे हलका कोई कहे भारी। लियो है तराजू तोल॥ मा०॥१॥
कोई कहे ससता कोई कहे महेंगा। कोई कहे अनमोल॥ मा०॥२॥
ब्रिंदाबनके जो कुंजगलीनमों। लायों है बजाकै ढोल॥ मा०॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। पुरब जनमके बोल॥ मा०॥४॥