भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शाम मुरली बजाई कुंजनमों / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> शाम मुरली बजाई कुंजनमों॥ध्रु०॥ रा...)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:21, 22 जून 2009 के समय का अवतरण

शाम मुरली बजाई कुंजनमों॥ध्रु०॥
रामकली गुजरी गांधारी। लाल बिलावल भयरोमों॥१॥
मुरली सुनत मोरी सुदबुद खोई। भूल पडी घरदारोमों॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। वारी जाऊं तोरो चरननमों॥३॥