भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हरि तुम कायकू प्रीत लगाई / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem>हरि तुम कायकू प्रीत लगाई॥ध्रु०॥ प्...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:25, 22 जून 2009 के समय का अवतरण
हरि तुम कायकू प्रीत लगाई॥ध्रु०॥
प्रीत लगाई पर दुःख दीनो। कैशी लाज न आई॥ ह०॥१॥
गोकुल छांड मथुराकु जावूं। वामें कौन बढाई॥ ह०॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। तुमकूं नंद दुवाई॥ हरि०॥३॥