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"मेरे गाँव की लड़कियाँ / मृत्युंजय प्रभाकर" के अवतरणों में अंतर
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आंगन की देवली में
तुलसी का पौधा
अभी सूखा नहीं था
देवथान में भी
पनपा था ख़ूब
हमारे बचपन में
पीतल का लोटा
बेलपत्र का टोटा
कुवाँरियों की लंबी भींगी लट
याद है सावन की
अलसुबह का स्नान
शिवालय के कुएँ जितना
प्यारा और मादक
कभी नहीं होगा
तीज का चलन
ज़िदा था तब
गाँव की लड़कियों के
होने का सबूत भी
शादी-ब्याह के गीतों
किसी की मरनी
छठ के अर्ध व
रात के सन्नाटे में
अदृश्य सी आवाज़ में
खनकती थीं वह
हमारे लिए
इन आदिम अनुभूतियों को
चावल की बोरी
सुग्गा का ठोर
मालदा आम
होने में कयामत का वक़्त लगा
कयामत के बीतने के बाद
वह ढल गईं
श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित
करिश्मा कपूर, रवीना टंडन
व दिव्या दत्ता के भूगोल में।