भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वातायन / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर" }}<poem>मैं झरोखा हूँ। कि जिसकी ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:20, 23 जून 2009 का अवतरण
मैं झरोखा हूँ।
कि जिसकी टेक लेकर
विश्व की हर चीज बाहर झाँकती है।
पर, नहीं मुझ पर,
झुका है विश्व तो उस जिन्दगी पर
जो मुझे छूकर सरकती जा रही है।
जो घटित होता है, यहाँ से दूर है।
जो घटित होता, यहाँ से पास है।
कौन है अज्ञात ? किसको जानता हूँ ?
और की क्या बात ?
कवि तो अपना भी नहीं है।