भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बीच सागर में / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) छो (बीच सागर में / अनातोली पारपरा का नाम बदलकर बीच सागर में / अनातोली परपरा कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:31, 24 जून 2009 का अवतरण
|
इस तन्हाई में फकीरे
दिन बीते धीरे-धीरे
- यहाँ सागर की राहों में
कभी नभ में छाते बादल
बजते ज्यूँ बजता मादल
- मन हर्षित होते घटाओं के
सागर का खारा पानी
धूप से हो जाता धानी
- रंग लहके पीत छटाओं के
जब याद घर की आती
मन को बेहद भरमाती
- स्वर आकुल होते चाहों के
बस श्वेत-सलेटी पाखी
जब उड़ दे जाते झाँकी
- मलहम लगती कुछ आहों पे