भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=मीराबाई | |
− | + | }} | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे। | पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे। | ||
19:00, 24 जून 2009 के समय का अवतरण
पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे।
मैं तो मेरे नारायण की आपहि हो गई दासी रे।
लोग कहै मीरा भई बावरी न्यात कहै कुलनासी रे॥
विष का प्याला राणाजी भेज्या पीवत मीरा हाँसी रे।
'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर सहज मिले अविनासी रे॥