भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रेमकथा-2 / शुभा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शुभा |संग्रह=}} <Poem> यहाँ प्रतिबद्धता का एक केन्र ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
01:44, 26 जून 2009 का अवतरण
यहाँ प्रतिबद्धता का एक केन्र है
आत्मा का उत्खनन होता है
एक ही ओर दौड़ी जाती हैं इच्छाएँ
आत्मा का कोयला सारा
अपनी ही छुपी आग से दौड़ा जाता है
दुख और ख़ुशियाँ सब दौड़ती हैं अपनी दरी लपेटे
ज़मीन तोड़कर पानी बह जाता है एक ही इशा में
उसी दिशा में दौड़ते हैं होशो-हवास
उस दिशा में खड़ा है एक विखंडन
उम्मीद की चादर में अपने को छिपाए।