भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आइना होता / अभिज्ञात" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अभिज्ञात }} <poem> ख्व़ाब जैसा ही वाक़या होता तू मेर...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:21, 3 जुलाई 2009 का अवतरण
ख्व़ाब जैसा ही वाक़या होता
तू मेरे घर जो आ गया होता
जिन ख़तों को सँभाल कर रक्खा
काश उनको मैं भेजता होता
ख्व़ाब के ख्व़ाब देखने वाले
आँख से भी तो देखता होता
तुझको देखा तो मेरे दिल ने कहा
मैं न होता इक आईना होता
खुद को मैं ढूँढे से कहाँ मिलता
गर न तुझको मैं चाहता होता