भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अपने शहर में / शिरीष कुमार मौर्य" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिरीष कुमार मौर्य }} अपने शहर में जब मैं कुछ बोलता था त...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=शिरीष कुमार मौर्य | |रचनाकार=शिरीष कुमार मौर्य | ||
}} | }} | ||
− | + | </poem> | |
अपने शहर में | अपने शहर में | ||
− | |||
जब मैं कुछ बोलता था | जब मैं कुछ बोलता था | ||
− | |||
तो उसका | तो उसका | ||
− | |||
जवाब आता था | जवाब आता था | ||
− | |||
− | |||
− | |||
अब मैं बोलता रहता हूँ | अब मैं बोलता रहता हूँ | ||
− | |||
अकेला ही | अकेला ही | ||
− | |||
− | |||
− | |||
किसी काम नहीं आता | किसी काम नहीं आता | ||
− | |||
मेरा बोलना | मेरा बोलना | ||
− | |||
− | |||
− | |||
यह बताने के भी नहीं | यह बताने के भी नहीं | ||
− | |||
कि मैं | कि मैं | ||
− | |||
अपने शहर में हूँ ! | अपने शहर में हूँ ! | ||
+ | </poem> |
01:07, 4 जुलाई 2009 का अवतरण
</poem> अपने शहर में जब मैं कुछ बोलता था तो उसका जवाब आता था
अब मैं बोलता रहता हूँ अकेला ही
किसी काम नहीं आता मेरा बोलना
यह बताने के भी नहीं कि मैं अपने शहर में हूँ ! </poem>