"प्रधानाध्यापक निलंबित / शिरीष कुमार मौर्य" के अवतरणों में अंतर
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01:27, 4 जुलाई 2009 का अवतरण
एक मशहूर अखबार के
स्थानीय संस्करण के पहले सफ़े पर मोटे शीर्षक में
छपी है ख़बर -
``प्रधानाध्यापक निलंबित´´
ज़िलाधीश ने अपने औंचक दौरे में पाया
कि पाठशाला में
उपस्थित नहीं थे प्रधानाध्यापक सेवकराम त्रिपाठी
और वहाँ उनकी ओर से छुट्टी की कोई अर्जी भी मौजूद नहीं थी
लिहाजा
उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना तय हुआ
उस दिन तो क्या
लगातार पिछले तीन दिनों से पाठशाला नहीं आए थे
सेवकराम त्रिपाठी
उनके निलम्बन से बावस्ता ख़बर जो छपी
उसमें भी नहीं थी इतनी गुंजाइश
और सदाशयता
कि पता किया जा सके आखिर क्यों उपस्थित नहीं थे
सेवकराम त्रिपाठी ?
महीना भर पहले ही
विभाग के बड़े अफसर को घूस देकर
किसी तरह भविष्य निधि से अग्रिम स्वीकृत करा
अपनी तीसरी और आखिरी बिटिया का विवाह किया था उन्होंने
और अब गंगासागर जाने के बारे में सोच ही रहे थे
कि अचानक
उस बिटिया के ससुराल में दुबारा
तलब कर लिया गया
उन्हें
वे गए भागते
बिना किसी से कुछ कहे
कांपते दिल से
वहाँ जाकर अपने दशम् ग्रह जामाता के मुख से
सुना उन्होंने एक महीने के भीतर होंडा पल्सर मोटरसाइकिल
और
नोकिया एन सिरीज़ मोबाइल ला देने का
फ़रमान
वे न तो इन शब्दों
और न ही इन वस्तुओं को समझ पा रहे थे ठीक से
हालांकि
घूमने लगे थे उनके सामने टीवी में मंडराते
गुदाज़ अधनंगी लड़कियों
और रंगीनियों से बजबजाते कई सारे विज्ञापन
वे तो दरअसल पानी भी नहीं मांग सकते थे
बिटिया की चौखट पर
कंठ के लगातार सूखते चले के बावजूद
ऐसा करने से कुल की परम्परा
और मरजाद भंग होती थी
अपने अंतस में गहराती एक अजीब-सी प्यास लिए
वे लौट रहे थे
रोती-बिलखती बिटिया के घर से
उस गीली और गाढ़ी शाम में
मरे मन से बस अड्डे पर उतरकर उन्होंने बरसों बाद
अकेले में बैठकर
दो प्याला देशी शराब पी
उन्हें नहीं पता था
कि इस दुनिया में लौटने का आखिर ठीक-ठीक क्या आशय होता है
लेकिन वे लौट रहे थे
अभी कोस भर दूर ही था उनका घर कि अधराह में सीने के दर्द से तड़पकर
अपना यह लौटना बीच में रोक
सड़क के किनारे की भीगी मिट्टी में
लेट जाना पड़ा उन्हें
और वे लेट गए आकाश में तारों का आना
और
पक्षियों का लौटना देखते
उनके भीतर टूटती जा रही थी हर चीज़
और वे लेटे रहे
सुनते हुए जीवन के टूटने की कुछेक आखिरी अनाम आवाजें
दूसरे दिन मृत पाये गए
स्कूल से सौ किलोमीटर दूर अपने गाँव के बाहर
हालांकि
उनकी देह ने हार जाने से पहले घिसटकर कुछ दूर चलने की कोशिश भी की
जो दर्ज थी
सड़क किनारे की मिट्टी पर
जब दिखाई जा रही थी
उनकी देह को
उसके हिस्से की आखिरी धुआंती -सुलगती आग
ठीक उसी रात
स्थानीय संवाददाता के हवाले से
अखबार में छापी जा रही थी
यह ख़बर -
"प्रधानाध्यापक निलंबित"
अगले रोज़ ज़िलाधीश महोदय की सुबह की चाय को
खुशनुमा बनाने के वास्ते !