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"क़ब्रगाह / संध्या गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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तबसे ...जबसे यह ज़मीन बनी है!
 
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सारी बस्तियाँ
 
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हमारे घर... शहर...
 
हमारे घर... शहर...

21:25, 4 जुलाई 2009 का अवतरण

कितने लोग दफ़न हुए इस ज़मीन में
कितने घर और कितने मुल्क...
तबसे ...जबसे यह ज़मीन बनी है!

...उनकी क़ब्रगाह पर ही तो बसी हुई हैं
सारी बस्तियाँ
हमारे घर... शहर...
दुकान... मकान...

उसी क़ब्रगाह पर खड़े हैं हम
एक और क़ब्रगाह बसाए हुए!!