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&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''सुबह-सवेरे आती चिड़िया <br>
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&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''ढीठ चाँदनी <br>
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[श्याम सुन्दर अग्रवाल]]  
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[धर्मवीर भारती]]  
 
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सुबह-सवेरे आती चिड़िया,
 
आकर मुझे जगाती चिड़िया ।
 
ऊपर बैठ मुंडेर पर,
 
चीं-चीं, चूँ-चूँ गाती चिड़िया ।
 
  
जाना है, नहीं स्कूल उसे
+
आज-कल तमाम रात
न ही दफ़्तर जाती चिड़िया ।
+
चाँदनी जगाती है
फिर भी सदा समय से आती,
+
आलस नहीं दिखाती चिड़िया ।
+
  
थोड़ा सा चुग्गा लेकर भी,
+
मुँह पर दे-दे छींटे
दिन भर पंख फैलाती चिड़िया ।
+
अधखुले झरोखे से
इससे सेहत ठीक है रखती ,
+
अन्दर आ जाती है
नहीं दवाई खाती चिड़िया ।
+
दबे पाँव धोखे से
  
छोटी-सी है फिर भी बच्चो,
+
माथा छू
बातें कई सिखाती चिड़िया ।
+
निंदिया उचटाती है
रखो सदा ध्यान समय का,
+
बाहर ले जाती है
सबको पाठ पढ़ाती चिड़िया
+
घंटो बतियाती है
 +
ठंडी-ठंडी छत पर
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लिपट-लिपट जाती है
 +
विह्वल मदमाती है
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बावरिया बिना बात?
 +
 
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आजकल तमाम रात
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चाँदनी जगाती है
 
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23:44, 13 जुलाई 2009 का अवतरण

 सप्ताह की कविता

  शीर्षक: ढीठ चाँदनी
  रचनाकार: धर्मवीर भारती


आज-कल तमाम रात
चाँदनी जगाती है

मुँह पर दे-दे छींटे
अधखुले झरोखे से
अन्दर आ जाती है
दबे पाँव धोखे से

माथा छू
निंदिया उचटाती है
बाहर ले जाती है
घंटो बतियाती है
ठंडी-ठंडी छत पर
लिपट-लिपट जाती है
विह्वल मदमाती है
बावरिया बिना बात?

आजकल तमाम रात
चाँदनी जगाती है