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23:50, 13 जुलाई 2009 के समय का अवतरण

छलक कर आई न पलकों पर विगत पहचान
मुस्करा पाया न होठों पर प्रणय का गान;
ज्यों जुड़ी आँखें, मुड़ी तुम, चल पड़ा मैं मूक
इस मिलन से और भी पीड़ित हुए ये प्राण।