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"लड़कियों से / इला प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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13:08, 14 जुलाई 2009 का अवतरण

मत रहो घर के अन्दर

सिर्फ़ इसलिए

कि सड़क पर खतरे बहुत हैं।

चारदीवारियाँ निश्चित करने लगें जब

तुम्हारे व्यक्तित्व की परिभाषाएँ

तो डरो।

खो जायेगी तुम्हारी पहचान

अँधेरे में,

तुम्हारी क्षमताओं का विस्तार बाधित होगा

डरो।

सड़क पर आने से मत डरो

मत डरो कि वहाँ

कोई छत नहीं है सिर पर।
 

तुमने क्या महसूसा नहीं अब तक

कि अपराध और अँधेरे का गणित

एक होता है?

और अँधेरा घर के अन्दर भी

कुछ कम नहीं है।

डरना ही है तो अँधेरे से डरो

घर के अन्दर रहकर,

घर का अँधेरा,

बनने से डरो।