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दो शे’र / अमजद हैदराबादी

1 byte removed, 07:11, 17 जुलाई 2009
 
हम घर लिए जाते हैं, तक़दीर इसे कहते हैं॥
(( हम ख़्वाब में वाँ पहुँचे, तदबीर इसे कहते हैं।
वो नींद से चौंक उट्ठे, तक़दीर इसे कहते हैं॥ ))