भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ख़ुदकुशी / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अहमद फ़राज़ |संग्रह= }} Category:नज़्म <poem> '''ख़ुदकुशी<ref...) |
छो |
||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
क्या माज़ी<ref>अतीत</ref> क्या आइंदा<ref>भविष्यकाल</ref> | क्या माज़ी<ref>अतीत</ref> क्या आइंदा<ref>भविष्यकाल</ref> | ||
हम दोनों अपने क़ातिल हैं | हम दोनों अपने क़ातिल हैं | ||
− | हम दोनों अब तक ज़िन्दा | + | हम दोनों अब तक ज़िन्दा. |
</poem> | </poem> | ||
{{KKMeaning}} | {{KKMeaning}} |
14:55, 17 जुलाई 2009 का अवतरण
ख़ुदकुशी<ref>आत्महत्या</ref>
वो पैमान<ref>वचन</ref> भी टूटे जिनको
हम समझे थे पाइंदा<ref>अनश्वर</ref>
वो शम्एं भी दाग हैं जिनको
बरसों रक्खा ताबिंदा<ref>प्रकाशमान</ref>
दोनों वफ़ा करके नाख़ुश<ref>अप्रसन्न</ref> हैं
दोनों किए पर शर्मिन्दा<ref>लज्जित</ref>
प्यार से प्यारा जीवन प्यारे
क्या माज़ी<ref>अतीत</ref> क्या आइंदा<ref>भविष्यकाल</ref>
हम दोनों अपने क़ातिल हैं
हम दोनों अब तक ज़िन्दा.
शब्दार्थ
<references/>