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"सभ्यता / विमल कुमार" के अवतरणों में अंतर

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10:20, 20 जुलाई 2009 का अवतरण

मैं सबसे पहले घड़ी थ
फिर मछली बना
उसके बाद पेड़
पेड़ के बाद हुआ मनुष्य

मैं मनुष्य बनकर घड़ी का कान ऐंठने लगा हूँ
मछली खाने लगा हूँ
पेड़ काटकर
घर के लिए दरवाज़ा बनाने लगा हूँ
दरवाज़ा बंद कर
चेहर छिपाने लगा हूँ