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"चांद हत्यारा / विमल कुमार" के अवतरणों में अंतर
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10:24, 20 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
मैंने एक इन
इतनी तेज़ी से
सूरज को डूबते हुए देखा
मुझे लगा यह सूरज नहीं है
समुद्र में कोई जहाज़ है
जिसके भीतर गहरा सूराख़ हो गया है
मैंने उस दिन
इतनी ही तेज़ी से
चांद को निकलते एखा
मुझे लगा यह चांद नहीं
कोई आदमी किसी हत्या कर
गली में चुपके से भाग रहा है
आख़िर उस इन
पृथ्वी इस तरह क्यों नाच रही थी
कि सूरज डूबता हुआ जहाज़ हो गया था
और चांद हत्यारा...