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"नहीं निहारा / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर

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21:05, 22 जुलाई 2009 का अवतरण

जो कुछ भी घटा है
या
घटता जा रहा है
उस सबके पीछे
कहीं न कहीं
मेरा हाथ रहा है
लेकिन इसको मैंने
कभी नहीं
स्वीकारा

क्योंकि
मेरे हाथों ने
जो कुछ किया
उसे कभी
मेरी आँखों ने
नहीं निहारा