"बाजा / विष्णु नागर" के अवतरणों में अंतर
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16:17, 25 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
मुझे बाजा बनाया गया
और मैं बजने से पहले ही रो दिया
क्या करँ कि मुझे बनाने वालों के दिल रोते हैं
मुझे बाजा बनाया गया
और मैं बजने से पहले ही हँस दिया
हँसने से काम नहीं चलेगा
और हँसना बाजे का काम भी नहीं
लेकिन यह हँसी उनकी है
जिनका मैं हूँ
मैं हैरान हूँ कि बाजा होते हुए भी मैं कैसे हँस दिया
मुझे हँसना नहीं चाहिए था
दरअसल यह हँसी मेरी थी भी नहीं
मैं तो सिर्फ़ इसलिए हँसा
कि यह हँसी मेरी क्यों नहीं?
मैं हैरान हुआ कि बाजा होते हुए भी
मैं अपने आप कैसे बजने लगा
और पृथ्वी ने कहा, तुम्हारे तो पाँव हैं
और हवा ने कहा, तुम्हारे तो हाथ हैं
और सिर तो मेरा ख़ुशी से झूम ही रहा था
मैं परेशान हूँ
बाजे का जीवन पाकर
यह जो कुछ मैं कर रहा हूँ
यह ठीक-ठीक है भी या नहीं?
कल मैं बोलने लगूँ
तो सब मुझे प्रेत समझकर
भागने तो नहीं लगेंगे?
मुझे गोली मार देना
मगर भागना नहीं, मुझसे मेरे लोगो