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बेनी प्रवीन का मूल नाम बेनीदीन बाजपेई था। ये लखनऊ के निवासी थे। इनके आश्रयदाता लखनऊ के 'लल्लनजी थे, जिन्होंने कदाचित् इन्हें 'प्रवीन की उपाधि प्रदान की थी। उनके लिए इन्होंने 'नवरस-तरंग लिखा, जिसमें नायक-नायिका भेद वर्णित है। भाषागत प्रौता, भावों का सरस प्रवाह, गहरी भावुकता तथा चित्रांकन की मार्मिकता के कारण ये रीति-काल के सरस कवि माने जाते हैं। अन्य ग्रंथ हैं- 'नानाराव प्रकाश तथा 'शृंगार-भूषण। ये अलंकार एवं शृंगार ग्रंथ हैं।