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"दौलत पाय न कीजिए / गिरिधर" के अवतरणों में अंतर

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18:50, 29 जुलाई 2009 का अवतरण

दौलत पाय न कीजिए, सपने में अभिमान।
चंचल जल दिन चारिको, ठाउं न रहत निदान॥

ठाउं न रहत निदान, जियत जग में जस लीजै।
मीठे बचन सुनाय, विनय सबही की कीजै॥

कह 'गिरिधर कविराय अरे यह सब घट तौलत।
पाहुन निसिदिन चारि, रहत सबही के दौलत॥