भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"देख जिऊँ माई नयन रँगीलो / कृष्णदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्ण }} Category:पद <poeM>देख जिऊँ माई नयन रँगीलो। लै चल...)
(कोई अंतर नहीं)

02:49, 30 जुलाई 2009 का अवतरण

देख जिऊँ माई नयन रँगीलो।
लै चल सखी री तेरे पायन लागौं, गोबर्धन धर छैल छबीलो॥
नव रंग नवल, नवल गुण नागर, नवल रूप नव भाँत नवीलो।
रस में रसिक रसिकनी भौहँन, रसमय बचन रसाल रसीलो॥
सुंदर सुभग सुभगता सीमा, सुभ सुदेस सौभाग्य सुसीलो।
'कृष्णदास प्रभु रसिक मुकुट मणि, सुभग चरित रिपुदमन हठीलो॥