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"रहना नहिं देस बिराना है / कबीर" के अवतरणों में अंतर

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02:58, 30 जुलाई 2009 के समय का अवतरण

रहना नहिं देस बिराना है।
यह संसार कागद की पुडिया, बूँद पडे गलि जाना है।
यह संसार काँटे की बाडी, उलझ पुलझ मरि जाना है॥
यह संसार झाड और झाँखर आग लगे बरि जाना है।
कहत 'कबीर सुनो भाई साधो, सतुगरु नाम ठिकाना है॥