भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गुरु अंगद देव / परिचय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKRachnakaarParichay |रचनाकार=अंगद }} अंगददेवजी सिखों के दूसरे गुरु हैं। इनका ...)
(कोई अंतर नहीं)

18:49, 5 अगस्त 2009 का अवतरण

अंगददेवजी सिखों के दूसरे गुरु हैं। इनका जन्म मते की सराय, जिला फिरोजपुर में हुआ था। इनके जन्म का नाम लहिणाजी था। लहिणाजी दुर्गा के भक्त थे। एक बार वैष्णोदेवी जाते समय गुरु नानक इन्हें मिले। उनके दर्शन तथा उपदेश के प्रभाव से इनको ऐसी शांति मिली कि ये उनके अनन्य भक्त हो गए। नानकदेव भी इनकी भक्ति और सेवा से अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने इनका नाम अंगद रखा तथा अपने पश्चात गुरुगद्दी का अधिकार दिया। ग्रंथ साहब में इनके 63 पद हैं। गुरुमुखी लिपि इन्हीं की देन है। प्रेम, भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का प्रचार इनकी वाणी का मुख्य उद्देश्य है।