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सूरदास के पश्चात अष्टछाप के कवियों में नंददास सबसे महत्वपूर्ण हैं। इनका जन्म गोकुल मथुरा से पूर्व रामपुर ग्राम बतलाया गया है। इन्हें गोस्वामी तुलसीदास का भाई भी कहा गया है। ये आरंभ में संसार के प्रति अति अनुरक्त थे। विट्ठलनाथजी ने इन्हें अपना शिष्य बनाया, जिससे इनका मोह भंग हुआ। प्रचुर लेखन तथा विषय की विविधता की दृष्टि से नंददास महत्वपूर्ण हैं। इनकी 28 रचनाएँ बताते हैं, जिनमें 'रास पंचाध्यायी तथा 'भ्रमर गीत अधिक प्रसिध्द हैं। रास पंचाध्यायी में महारास का अद्भुत वर्णन है। भ्रमर गीत में तर्क एवं बुध्दि की प्रधानता है। नंददास भाषा के प्रयोग में अत्यंत पटु थे। इनके विषय में कहा गया है- 'और सब गढिया, नंददास जडिया।