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केशव ठाकुर के पुत्र महामति प्राणनाथ का जन्म का नाम मेहर ठाकुर था। इन्हें 12 वर्ष की अवस्था में ही अध्यात्म ज्ञान हो गया और सद्गुरु श्री देवचंद्रजी ने इन्हें अपनाकर मंत्र प्रदान किया। गुरु की आज्ञा से ये 4 वर्ष अरब देश में रहे। महामति बाल्यकाल से ही पद और साखी जोडकर गाते थे। गुरु ने प्रसन्न होकर इनका नाम 'साखी-वाला रख दिया था। इनकी अधिकांश रचना बोलचाल की हिन्दी में है तथा कुछ सिंधी, गुजराती, कच्छी एवं अरबी में है। 'किरंतन में इनकी वाणी का सार संग्रहित है। शिष्यों ने इनमें परमात्मा के स्वरूप का दर्शन कर इन्हें 'प्राणनाथ की उपाधि से सम्मानित किया।