भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दोहे / नारायण स्वामी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नारायण स्वामी }} Category:दोहे <poeM>नारायण हरि भक्त की, ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:28, 6 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
नारायण हरि भक्त की, प्रथम यही पहचान।
आप अमानी ह्वै रहै देत और को मान॥
कपट गांठि मन में नहीं, सब सों सरल सुभाव।
नारायन ता भक्त की, लगी किनारे नाव॥
दसन पांति मोतियन लरी, अधर ललाई पान।
ताहूं पै हंसि हेरिबो, को लखि बचै सुजान॥
मृदु मुसक्यान निहारि कै, धीर धरत है कौन।
नारायण कै तन तजै, कै बौरा कै मौन॥