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सिगरेट /अमृता प्रीतम

No change in size, 14:35, 7 अगस्त 2009
[[Category:कविता]]
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यह आग की बात है
तूने यह बात सुनाई है
यह ज़िंदगी की वोही वो ही सिगरेट है
जो तूने कभी सुलगाई थी
तेरे हाथ की खेर मांगती हूँ
अब और सिगरेट जला ले !!
</poem>
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