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"स्वभाव में लय / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर
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रात भर
सब कुछ पर
छाती गई है बर्फ़
घाटी स्वभाव में लय है
जब तक
मैं छेड़ूँ नहीं उसे।