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"मुझपे तूफ़ाँ उठाये लोगों ने / मोमिन" के अवतरणों में अंतर
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मुफ़्त बैठे बिठाये लोगों ने | मुफ़्त बैठे बिठाये लोगों ने | ||
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− | बात | + | बात अपनी वहाँ न जमने दी |
अपने नक़्शे जमाये लोगों ने | अपने नक़्शे जमाये लोगों ने | ||
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दोनों के होश उड़ाये लोगों ने | दोनों के होश उड़ाये लोगों ने | ||
− | बिन कहे राज़हा-ए-पिन्हानी | + | बिन कहे राज़हा-ए-पिन्हानी<ref> छुपे हुए रहस्य </ref> |
उसे क्योंकर सुनाये लोगों ने | उसे क्योंकर सुनाये लोगों ने | ||
क्या तमाशा है जो न देखे थे | क्या तमाशा है जो न देखे थे | ||
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+ | कर दिया 'मोमिन' उस सनम को ख़फ़ा | ||
+ | क्या किया हाये- हाये लोगों ने | ||
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19:32, 13 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
मुझपे तूफ़ाँ उठाये लोगों ने
मुफ़्त बैठे बिठाये लोगों ने
कर दिए अपने आने-जाने के
तज़किरे<ref>चर्चाएँ</ref> जाये-जाये<ref>जगह-जगह, दुनिया भर में</ref> लोगों ने
वस्ल<ref>मिलन</ref> की बात कब बन आयी थी
दिल से दफ़्तर बनाये<ref> कहानियाँ गढ़ डालीं</ref> लोगों ने
बात अपनी वहाँ न जमने दी
अपने नक़्शे जमाये लोगों ने
सुनके उड़ती-सी अपनी चाहत की
दोनों के होश उड़ाये लोगों ने
बिन कहे राज़हा-ए-पिन्हानी<ref> छुपे हुए रहस्य </ref>
उसे क्योंकर सुनाये लोगों ने
क्या तमाशा है जो न देखे थे
वो तमाशे दिखाये लोगों ने
कर दिया 'मोमिन' उस सनम को ख़फ़ा
क्या किया हाये- हाये लोगों ने
शब्दार्थ
<references/>