भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गन्ध वेदना / जानकीवल्लभ शास्त्री" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जानकीवल्लभ शास्त्री }} <poem> केसर-कुंकुम का लहका द...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:21, 14 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
केसर-कुंकुम का लहका दिगन्त है
गंध की अनन्त वेदना वसन्त
चीर उर न और
धुंधलाए वन की
ओ अनचीती बाँसुरी
गीत या अतीत बुझे द्वीप-द्वीप का
मोती अनबिंधा मुंदी-मुंदी सीप का,
धूला-धूला वर्तमान
धूप-तपा तीखा
चीख़-चीख़कर
हँसना-रोना है सीखा
गोपन मन भावी का काँचनार है
कब फूले क्यों मुरझे बेकरार है
उजले दिन
हरख साँझ-झाँवरी
थके-थके पाँव
अभी बहुत दूर गाँव री