भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पीता है कवि / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=कवि का कोई घर नहीं होता ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:36, 15 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

पीता है कवि
नहीं तो क्या करे वह
कैसे भरे वह ख़ुद को
खाली कर रहा है जो?

टूटा जा रहा है घर-बार
ख़ुद को बचाने के लिए
पुराने-नए सब अहबाब
जी के बहलाने के लिए
बिकता जा रहा है बाज़ार
जाने किस खजाने के लिए
ये चैनल, ये अख़बार
नित-नए हंगामे के लिए
जैसे भी सफ़ल हैं जो
रास्ता बतलाने के लिए
बिख़री जा रही तहज़ीब
अपने सजाने के लिए
और सबसे ऊपर वाइज
रात-दिन समझाने के लिए

जब सभी पीते जा रहें हैं उसे-
चुक जाए तो ये सब पीएंगे किसे?
कवि इसलिए पीता है
ख़ुद मर कर
इन सबकी ख़ातिर
जीता है।