भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तुम्हें तो बस / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=कवि का कोई घर नहीं होता ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:22, 15 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

मृत्यु से की होती
इतनी मैंने प्रार्थना
वह भी बख़्श देती मुझे-
तुम्हें तो, बस, मुझको
आवाज़ देनी है
मेरे जिलाने के लिए।