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"शब्दों के बीच / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर
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न दो अपने शब्दों में चाहे
जगह थोड़ी-सी
कहीं मिल जाए उनके बीच-
वहीं रह लूंगा।
आँख भर देख लेना बस
कभी चुपचाप
बाक़ी सभी को मुखरित करते हुए-
सहारे उसके
मैं सारा जीवन ख़ामोशी सह लूंगा
कहना होगा जो तुम्हें
गुमसुम ही कह लूंगा।