भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"विडम्बना / विश्वनाथप्रसाद तिवारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विश्वनाथप्रसाद तिवारी |संग्रह=फिर भी कुछ रह जा...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:34, 20 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
निकल पड़े हैं
प्रभु और पैगम्बर की रक्षा के लिए
चाकू चमकाते
गंगू और अहमद पहलवान
नहीं सुनाई पड़ती
मन्दिर में घण्टा-ध्वनि
मस्जिद में अजान
छितराए पड़े धर्मग्रन्थों के पन्ने
सड़क पर
तड़पता है सर्वशक्तिमान
लहुलुहान।