भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बच्चे का गोलक / विश्वनाथप्रसाद तिवारी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विश्वनाथप्रसाद तिवारी |संग्रह=आखर अनंत / विश्व...)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:58, 20 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

कुछ भी निरर्थक नहीं है
सृष्टि की हर चीज़
होती है अर्थवान

यह सत्य मैंने उस दिन जाना
जिस दिन खोला
अपने छोटे बच्चे का
बड़ा-सा गोलक