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"चाँद / शमशाद इलाही अंसारी" के अवतरणों में अंतर
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यह ख़ूबसूरत
चमकता हुआ चाँद
इससे पहले
कि शहर की
लगातार उगती हुई इमारतें
बदरंग रोशनियाँ और धुआँ
निगल जाए इसे,
आओ -
इस चाँद को जी भर देख लें.
रचनाकाल : 28.08.1991