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"शेष / केशव" के अवतरणों में अंतर

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कुछ शेष हो
 
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तो संभव हो रहना
 
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मृत्यु के इस अविजित प्रदेश में
 
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जिन्दगी एक संभावना का नाम है
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मैं दौड़ रहा हूँ
 
मैं दौड़ रहा हूँ
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चाकू जैसे मौसमों से
 
चाकू जैसे मौसमों से
 
बहते हैं मेरे तरल स्वर
 
बहते हैं मेरे तरल स्वर
बर्फ काटती सर्द हवाओं की तरह
+
बर्फ़ काटती सर्द हवाओं की तरह
उस फासले के बीच
+
उस फ़ासले के बीच
जिसे जिन्दगी मौत तक
+
जिसे ज़िन्दगी मौत तक
सोचता हूं मैं
+
सोचता हूँ मैं
  
 
तीर की मानिंद
 
तीर की मानिंद
ठोस अँधेरे में बढ़ता हूँ
+
ठोस अन्धेरे में बढ़ता हूँ
 
अपने हथियारों के साथ
 
अपने हथियारों के साथ
 
तो लगता है अभी कुछ है शेष
 
तो लगता है अभी कुछ है शेष
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भाषाओं के ज्ञान के बिना भी
 
भाषाओं के ज्ञान के बिना भी
 
और संभावना की कोठरी में भी
 
और संभावना की कोठरी में भी
रहा जा सकता है उस शेष के साथ.
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रहा जा सकता है उस शेष के साथ।
  
  
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मृत्यु के इस अविजित प्रदेश में
 
मृत्यु के इस अविजित प्रदेश में
  
जिन्दगी एक संभावना का नाम है
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मैं दौड़ रहा हूं
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मैं दौड़ रहा हूँ
 
प्यार और घ़णा करते हुए
 
प्यार और घ़णा करते हुए
आदमी के शहर और जंगल ें
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आदमी के शहर और जंगल  
युद्धरत हूं
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युद्धरत हूँ
इस संभावना के जहर को
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इस संभावना के ज़हर को
नया नाम देने के लिये
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नया नाम देने के लिए
  
 
बाहर और भीतर के सभी घने
 
बाहर और भीतर के सभी घने
 
चाकू जैसे मौसमों से
 
चाकू जैसे मौसमों से
 
बहते हैं मेरे तरल स्वर
 
बहते हैं मेरे तरल स्वर
बर्फ काटती सर्द हवाओं की तरह
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बर्फ़ काटती सर्द हवाओं की तरह
उस फासले के बीच
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उस फ़ासले के बीच
जिसे जिन्दगी मौत तक
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जिसे ज़िन्दगी मौत तक
 
सोचता हूं मैं
 
सोचता हूं मैं
  
 
तीर की मानिंद
 
तीर की मानिंद
ठोस अँधेरे में बढ़ता हूँ
+
ठोस अन्धेरे में बढ़ता हूँ
 
अपने हथियारों के साथ
 
अपने हथियारों के साथ
 
तो लगता है अभी कुछ है शेष
 
तो लगता है अभी कुछ है शेष
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भाषाओं के ज्ञान के बिना भी
 
भाषाओं के ज्ञान के बिना भी
 
और संभावना की कोठरी में भी
 
और संभावना की कोठरी में भी
रहा जा सकता है उस शेष के साथ.
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रहा जा सकता है उस शेष के साथ।
 
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14:02, 22 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

कुछ शेष हो
तो संभव हो रहना
मृत्यु के इस अविजित प्रदेश में

ज़िन्दगी एक संभावना का नाम है

मैं दौड़ रहा हूँ
प्यार और घ़णा करते हुए
आदमी के शहर और जंगल में
युद्धरत हूँ
इस संभावना के ज़हर को
नया नाम देने के लिये

बाहर और भीतर के सभी घने
चाकू जैसे मौसमों से
बहते हैं मेरे तरल स्वर
बर्फ़ काटती सर्द हवाओं की तरह
उस फ़ासले के बीच
जिसे ज़िन्दगी मौत तक
सोचता हूँ मैं

तीर की मानिंद
ठोस अन्धेरे में बढ़ता हूँ
अपने हथियारों के साथ
तो लगता है अभी कुछ है शेष
जिसमें मृत्यु का चेहरा पढ़ा जा सकता है
भाषाओं के ज्ञान के बिना भी
और संभावना की कोठरी में भी
रहा जा सकता है उस शेष के साथ।



कुछ शेष हो
तो संभव हो रहना
मृत्यु के इस अविजित प्रदेश में

ज़िन्दगी एक संभावना का नाम है

मैं दौड़ रहा हूँ
प्यार और घ़णा करते हुए
आदमी के शहर और जंगल
युद्धरत हूँ
इस संभावना के ज़हर को
नया नाम देने के लिए

बाहर और भीतर के सभी घने
चाकू जैसे मौसमों से
बहते हैं मेरे तरल स्वर
बर्फ़ काटती सर्द हवाओं की तरह
उस फ़ासले के बीच
जिसे ज़िन्दगी मौत तक
सोचता हूं मैं

तीर की मानिंद
ठोस अन्धेरे में बढ़ता हूँ
अपने हथियारों के साथ
तो लगता है अभी कुछ है शेष
जिसमें मृत्यु का चेहरा पढ़ा जा सकता है
भाषाओं के ज्ञान के बिना भी
और संभावना की कोठरी में भी
रहा जा सकता है उस शेष के साथ।