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"दिल अगर फूल सा नहीं होता / जगदीश रावतानी आनंदम" के अवतरणों में अंतर

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(कोई अंतर नहीं)

20:21, 26 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

दिल अगर फूल सा नहीं होता
यूँ किसी ने छला नहीं होता

था ये बेहतर कि कत्ल कर देती
रोते रोते मरा नहीं होता

दिल में रहते है दिलरुबाओं के
आशिकों का पता नहीं होता

ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं तब तक
इश्क जब तक हुआ नहीं होता

पाप की गठरी हो गई भारी
वरना इतना थका नहीं होता

होश में रह के ज़िन्दगी जीता
तो यूँ रुसवा हुआ नही होता

जुर्म हालात करवा देते है
आदमी तो बुरा नहीं होता

ख़ुद से उल्फत जो कर नहीं सकता
वो किसी का सगा नहीं होता

क्यों ये दैरो हरम कभी गिरते
आदमी ग़र गिरा नहीं होता