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"रह गया सब कुछ / वीरेंद्र मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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रह गया सब कुछ बिखर कर
 
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इन दिनों है दुख शिखर पर
 
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एक पल में हो गया सब कुछ अधूरा
 
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कुछ हुआ ऐसा कि टूटा तानपूरा
 
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शब्द का संगीत चुप है काँपता हर गीत थर-थर
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और ऊपर उठ रही है तेज़ धारा
 
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यह किसी रूठी नदी का है इशारा
 
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द्वीप जैसा हो गया है बाढ़ में घिरता हुआ घर
 
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देखने में नहीं लगता साधुओं सा
 
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दुख शलाका पुरुष-सा है आँसुओं का
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रहा आँखों में बहुत दिन आज है लंबे सफ़र पर।
 
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रहा आंखों में बहुत दिन आज है लंबे सफ़र पर।
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10:51, 31 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

रह गया सब कुछ बिखर कर
इन दिनों है दुख शिखर पर

एक पल में हो गया सब कुछ अधूरा
कुछ हुआ ऐसा कि टूटा तानपूरा
शब्द का संगीत चुप है काँपता हर गीत थर-थर

और ऊपर उठ रही है तेज़ धारा
यह किसी रूठी नदी का है इशारा
द्वीप जैसा हो गया है बाढ़ में घिरता हुआ घर

देखने में नहीं लगता साधुओं सा
दुख शलाका पुरुष-सा है आँसुओं का
रहा आँखों में बहुत दिन आज है लंबे सफ़र पर।